Soils of India | Bharat Ki Mitti

प्राकृतिक रूप से भारत की मिट्टी ( Soils of India ) की बनावट में बहुत अधिक भिन्नता पाई जाती है कहीं पर पर्वत और पहाड़ हैं तो कहीं पर रेगिस्तान। इसी के कारण हर भाग की मिट्टी भी अलग अलग प्रकार की है। मिट्टी की अलग अलग बनावट के कारण ही भारत के हर हिस्से में विभिन्न प्रकार की फसलें पायी जाती है। आज इस पोस्ट में हम भारत में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की मिट्टियों के विषय मे जानेंगे।

मृदा Soil

मनुष्य की सभी गतिविधियाँ मिट्टी से जुड़ी है। मिट्टी में ही पेड़ पौधे उगते है और फसलें भी। अलग – अलग स्थान की मिट्टी अलग – अलग होती है। भारत की मिट्टी ( Soils of India ) में पायी जाने वाली भिन्नता इसकी प्राक्रतिकभूमि की ऊपरी सतह को भू-पर्पर्टी कहते है। इसी ऊपरी सतह में विभिन्न प्रकार के Organic and Inorganic तत्व मिले रहते हैं।इसी ऊपरी सतह पर पाये जाने वाले बारीक कणों को मिट्टी कहते है जिसका निर्माण चट्टानों के टूटने Erosion से हुआ है। भारत मे विभिन्न प्रकार की मिट्टी पाई जाती है जो निम्न प्रकार की होती है – जलोढ़ मिट्टी, काली मिट्टी, लाल मिट्टी आदि।

Soils of India
Soils of India

मिट्टी का विभाजन – Classification of Soil

भारत की मृदा के वर्गीकरण के कई बार प्रयास किए गये। भारतीय मृदाओं का पहली बार वैज्ञानिक वर्गीकरण वोयलकर (Voeleker) (1893) और लीदर (Leather) (1898) ने किया था। इनके अनुसार भारतीय मृदाओं को चार वर्गों में बांटा गया था –

i) जलोढ़,

(ii) रेगड़ (Ragur) (काली मिट्टी),

(iii) लाल मिट्टी,

(iv) लैटेराइट (Laterite) मृदा

इस वर्गीकरण के बाद कई और वर्गीकरण भी हुए जिसमें मिट्टी के गठन, उसकी संरचना, उसका रंग, मिट्टी की pH value, उसकी सान्द्रता आदि तत्वों को शामिल किया गया। वर्ष 1956 में अखिल भारतीय मृदा एवं भू-उपयोग सर्वेक्षण संगठन द्वारा भी भारतीय मृदा का वर्गीकरण करने का प्रयास किया गया। राष्ट्रीय एटलस एवं थिमेटिक संगठन (NATMO) द्वारा वर्ष 1957 में भारत की एक मृदाओं का एक मानचित्र भी प्रकाशित किया गया। इसमे मिट्टी को 6 प्रमुख भागों और 11 उप-भागों में विभाजित किया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (ICAR) ने भी वर्ष 1963 में एस.पी. राय चौधरी के पर्यवेक्षण में भारत की मिट्टियों का एक मानचित्र प्रकाशित किया जिसमें मिट्टी को 7 भागों में बाँटा गया। वर्तमान में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ( ICAR ) द्वारा किये गये वर्गीकरण के अनुसार मिट्टी को 10 प्रमुख समूहों में बाँटा गया है जो निम्नलिखित है –

  1. जलोढ़ मृदा
  2. लाल मृदा
  3. रेगर (काली मिट्टी) मृदा
  4. मरूस्थलीय मृदा
  5. लैटेराइट मृदा
  6. पर्वतीय मृदा
  7. लाल एवं काली मृदा
  8. भूसर एवं भूरी मृदा
  9. अंतर्पवतीय मृदा
  10. हिमक्षेत्र
  11. अन्य मृदाएं

1- जलोढ़ मृदा

भारत मे जलोढ़ मृदा का विस्तार 143 वर्ग मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में है। जलोढ़ मृदा मुख्य रूप से सतलज-गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानों में पायी जाती है। इसके अलावा ये नर्मदा तथा तापी नदियों की घाटियों और पूर्वी तथा पश्चिमी तटीय मैदानों में भी पायी जाती है। जलोढ़ मिट्टी का निर्माण हिमालयी निक्षेप या सुमद्र ( ज्वार-भाटाके समय ) के द्वारा छोड़े गए अवसादों से हुआ है। इसका रंग भूरा होता है। इसकी Soil Profile समतल क्षेत्रों में पूरी तरह विकसित है। इस मिट्टी को दो भागों में बांटा गया है-

A- खादर मृदा B- भांगर मृदा

A- खादर मृदा

यह मृदा मैदानी क्षेत्रों के निचले भागो में पायी जाती है। यहाँ की मिट्टी अधिक वर्षा के कारण बाढ़ से ज्यादा प्रभावित रहती है। बार-बार बाढ़ आने के कारण इस मिट्टी में नये-नये जमाव होते रहते हैं जिससे इसकी उपजाऊ क्षमता बनी रहती है। शुष्क क्षेत्रो में इस मिट्टी में लवणीय एवं क्षारीय दोनों गन पाये जाते है जिसे स्थानीय भाषा मे रेह(Reh), थुर(Thug) या कल्लर (Kallar) आदि नामों से जाना जाता है। इस मिट्टी में humus अधिक मात्रा में पाया जाता है जिसके कारण इस मिट्टी की जल धारण करने या रोकने की क्षमता अधिक होती है।

b- भांगर मृदा

यह मृदा बाढ़ के स्तर की ऊपरी मृदा है। इसका गठन दोमट से लेकर चिकनी मिट्टी तक होती है। इस मिट्टी में कहीं-कहीं Calcium Carbonate के कंकड़ पाये जाते हैं। यह मिट्टी गेहूं, चावल, मक्का, गन्ना, दलहन, तिलहन, चारा फसलों, फलों एवं सब्जियों की पैदावार के लिए अधिक उपयुक्त होती हैं। इस मिट्टी में ह्यूमस, चूना, फॉस्फोरिक अम्ल तथा जैविक पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाते है एवं पोटाश की कमी होती है।

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2 – लाल मृदा

यह मृदा भारत की दूसरी प्रमुख मृदा है। देश मे पायी जाने वाली कुल मृदाओं में इसकी मात्रा 18% से 20% तक होती हैं।यह प्रमुख रूप से प्रायद्वीपीय भारत मे बुंदेलखंड से लेकर तमिलनाडु तक एवं पूरब में राजमहल की पहाड़ियों से लेकर पश्चिम में कच्छ तक के क्षेत्र में पायी जाती है। यह मिट्टी तमिलनाडु के कुछ भागों, कर्नाटक, दक्षिणी महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, असम, मेघालय, और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड, मिर्जापुर और सोनभद्र तथा राजस्थान के बांसवाड़ा, भीलवाड़ा और उदयपुर जिलों में पायी जाती है। इस मिट्टी का रंग मुख्य रूप से लाल होता है। सामान्यतया इस मिट्टी की ऊपरी परत लाल और इसके नीचे की परत का रंग पीलापन लिए होती है। इस मिट्टी की संरचना बलुई, चिकनी तथा दोमट तीनों ही प्रकार की हो सकती है। सरंध्रता, भुरभुरापन इसकी संरचनात्मक विशेषताएं हैं। इसमें कंकड़ और कार्बोनेट की मात्रा कम होती है।

Soils of India
Soils of India

मिट्टी से संबंधित प्रमुख प्रश्न –

1- किसी देश की कृषि का मुख्य आधार क्या होता है? – उस देश की मिट्टी

2- भारत में कितने प्रकार की मिट्टी पायी जाती है ? – 8

3- भारत की सबसे महत्वपूर्ण मिट्टी कौन-सी है? – जलोढ़ मिट्टी

4- नवीन जलोढ़ मिट्टी को अन्य किस नाम से जाना जाता है – खादर मिट्टी

5- किस मिट्टी में पोटाश की मात्रा सबसे अधिक होती है – जलोढ़ मिट्टी में

6- काली मिट्टी का दूसरा नाम क्या है – रेगुर

7- काली मिट्टी किस फसल के लिए सबसे अधिक उपयोगी है – कपास

8- लाल मिट्टी का ‘लाल रंग’ किसके कारण होता है – लौह ऑक्साइड के कारण

9- किस मिट्टी में आयरन व सिलिका सबसे अधिक पाया जाता है – लैटराइट मिट्टी

10- चाय की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी कौन-सी है— लैटराइट मिट्टी

11- भारत के समस्त स्थल भाग के कितने % भाग में जलोढ़ मिट्टी है – 24%

12- लावा के प्रवाह से किस मिट्टी का निर्माण होता है – काली मिट्टी

13- कौन-सी मिट्टी जैव पदार्थों से भरपूर होती है ? – काली मिट्टी

14- किस मिट्टी का निर्माण बैसाल्ट चट्टानों के विखंडन से होता हैं – काली मिट्टी

15- किस मिट्टी में कृषि के लिए सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती हैं – काली मिट्टी

16- भारत में लाला मिट्टी का विस्तार सबसे अधिक कहाँ है – आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु

17- किस मिट्टी में लोहे और एल्युमीनियम के कण पाये जाते है – लैटराइट मिट्टी में

18- रेगुड़ मिट्टी सबसे अधिक किस राज्य में पायी जाती है – महाराष्ट्र में

19- किस प्रकार की मिट्टी में जिप्सम का प्रयोग करके उसे उपजाऊ बनाया जाता है – अम्लीय मिट्टी को

20- किस प्रकार की मिटटी में कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है – काली मिट्टी में

21- भारत के किस राज्य में अंतर्देशीय लवणीय आर्द्र भूमि है – राजस्थान में

22- ग्रेनाइट और नाइस चट्टानों के द्वारा किस मिट्टी का निर्माण होता है – लाल मिट्टी का

23- लैटराइट मिट्टी को अन्य किस नाम से जानते हैं – मुखरैला मिट्टी

24- काली कपासी मिट्टी को किस नाम से जाना जाता है – रेगुड़ मिट्टी

25- भारत के उत्तरी मैदानों में किस प्रकार की मिट्टी पाई जाती है – जलोढ़ मिट्टी

26- लैटराइट मिट्टी सबसे अधिक कहाँ पायी जाती है – Largest तटीय प्रदेशों में

27- किस प्रकार की मिट्टी में सबसे कम उर्वरक की आवश्यकता होती है – जलोढ़ मिट्टी में

28- किस मिट्टी का प्रायद्वीपीय भारत में सर्वाधिक क्षेत्र है –काली मिट्टी

29- गंगा में जलोढ़ मिट्टी भूमि की सतह से कितने नीचे तक पाई जाती है – 600 मीटर

30- पुरानी जलोढ़ मिट्टी को अन्य किस नाम से जाना जाता है – बांगर

31- लैटराइट मिट्टी के निर्माण में उत्तरदायी कौन है – अप क्षालन एवं केशिका क्रिया

32- कौन-सी मिट्टी सूख जाने पर कठोर एवं गीली होने पर दही की तरह लिपलिपी हो जाती है? – लैटराइट मिट्टी

33- मिट्टी के अध्ययन को क्या कहा जाता है? – मृदा विज्ञान

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