भारत में बहुत से लोग भारतीय प्रशासनिक सेवा में एक अधिकारी बनने की उम्मीद करते हैं। आईएएस बनने के लिए आपको कड़ी मेहनत करने और बहुत प्रयास करने की जरूरत है। जीतने के लिए हमें कोई चाहिए जो हमें रास्ता दिखा सके। यूपीएससी UPSC परीक्षा देश में एक बहुत ही महत्वपूर्ण परीक्षा है। यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए, आपको कुछ शोध करने और प्रश्नों का अभ्यास करने की आवश्यकता होगी। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) एक सरकारी निकाय है जो भारत की सिविल सेवाओं के लिए अधिकारियों की नियुक्ति करता है। परीक्षा के लिए योग्य होने के लिए, आपको भारत का नागरिक होना चाहिए और अच्छी शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए। संविधान प्रत्येक राज्य में एक संघीय लोक सेवा आयोग (UPSC) और राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के गठन का प्रावधान करता है। ये आयोग प्रत्येक राज्य में सार्वजनिक सेवा नौकरियों के लिए नीतियों और नियुक्तियों की सिफारिश करने के लिए जिम्मेदार हैं।
हाई स्कूल खत्म करने के बाद, कई किशोरों के मन में यह विचार आता है कि वे किस तरह का करियर बनाना चाहते हैं। कुछ लोग अलग-अलग क्षेत्रों के बारे में सोचते हैं और तय करते हैं कि वे किस पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। यह निर्णय लेने के बाद बहुत से लोग उस क्षेत्र में अपने करियर को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत करने लगते हैं। हमारे सामने कई अवसर हैं, लेकिन हर छात्र का सपना होता है कि वह किसी प्रतिष्ठित पद पर सफलता हासिल करे। भारत सरकार में सबसे बड़ी नौकरी आईएएस या आईपीएस अधिकारी की होती है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) एक सरकारी सेवा है जो भारतीय समाज के कई अलग-अलग क्षेत्रों की देखरेख करती है। इसे भारतीय पुलिस सेवा के रूप में भी जाना जाता है। एक अच्छे ग्रेजुएट स्कूल में प्रवेश पाने के लिए आप कुछ अलग-अलग परीक्षाएँ दे सकते हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि आपको हाई स्कूल खत्म करने के तुरंत बाद उनकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए, जबकि अन्य सोचते हैं कि आपको स्नातक होने तक इंतजार करना चाहिए। यदि आप किसी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं, तो जितनी जल्दी आप उस पर काम करना शुरू करेंगे, उतनी ही जल्दी आप उसे पूरा होते देख सकते हैं। यदि आप अपनी डिग्री पूरी करने के बाद तक कॉलेज से स्नातक होने की प्रतीक्षा करते हैं, तो आप अपनी शिक्षा के तीन या चार साल बर्बाद कर सकते हैं। उन वर्षों का उपयोग भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) या भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अध्ययन के लिए करना बेहतर होगा। प्रतियोगिता में स्वयं को दूसरों से आगे रखने का प्रयास करें।
सिविल सेवा (प्रारम्भिक) परीक्षा upsc , कैसे तैयारी करें
प्रत्येक वर्ष संघ लोक सेवा आयोग- UPSC द्वारा आयोजित की जाने वाली संघीय सिविल सेवा परीक्षा में आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या पिछले कुछ वर्षों से बड़ी तेजी के साथ बढ़ी है। वास्तव में एक ओर जहाँ आवेदन के लिए योग्यता रखने वाले स्नातकों में से अनेक के मन में इस परीक्षा को लेकर तरह-तरह की कठिनाइयाँ देखी गई हैं, वहीं दूसरी और अधिकांश अभ्यर्थी जो इस परीक्षा में सम्मिलित होते हैं परीक्षा के अनुरूप तैयारी के अभाव में कठिन परिश्रम के बावजूद सफलता से एक कदम पीछे छूट जाते हैं। यहां पर दिए जा रहे अनुदेशों से हमारा उद्देश्य सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले स्नातक का सही मार्गदर्शन कर उन्हें परीक्षा के अनुरूप स्वयं तैयारी कर सकने में सहायता करना है। यहां पर इस बात का उल्लेख आवश्यक है कि परीक्षार्थी इस भ्रम में न रहें कि उच्च अर्हता रखने वाले अभ्यर्थी की सफल होते हैं, इसके विपरीत न्यूनतम अर्हता रखने वाले अभ्यर्थी भी सही दिशा में किये गये परिश्रम से इस परीक्षा में सफल होते रहे हैं। अर्थात् इस परीक्षा के लिए कोई निर्धारित पैमाना नहीं है। यह पूर्णरूप से आपकी क्षमता, योग्यता, तैयारी और आपकी अपनी भाषा-शैली पर निर्भर करता है, न कि आपकी पिछली परीक्षाओं के नतीजों व उनके प्राप्तांको आदि पर। जहां तक हिन्दी माध्यम से सम्मिलित हो रहे अभ्यर्थियों का प्रश्न है उनकी सफलता का प्रतिशत भी प्रतिवर्ष बढ़ रहा है।
सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से अपनी मंजिल प्राप्त करने के लिए आशावान अभ्यर्थियों के लिए यह जरूरी है कि अपनी तैयारी करने से पूर्व उन समस्याओं पर आवश्यक रूप से विचार करें जिनका सामना पूर्व में बैठने वाले अभ्यर्थियों को करना पड़ा है। प्रशासनिक सेवा परीक्षा में प्रतिवर्ष 700 से 800 पदों के लिए लगभग 10 लाख उम्मीदवार बैठते हैं। प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन इसलिए किया जाता है ताकि मुख्य परीक्षा के लिए केवल योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जा सके। प्रायः देखा जाता है कि अधिकतर अभ्यर्थियों के सामने मुख्य प्रश्न विषय के चयन से सम्बन्धित होता है। अनेक अभ्यर्थी पहली बार जिस विषय को लेकर परीक्षा में बैठते हैं उसमें असफल या कम अंक प्राप्त होने पर अगली बार विषय बदल लेते हैं। यह स्थिति प्रारम्भिक और मुख्य दोनों परीक्षाओं के संबंध में देखी जाती है। इस प्रकार सही विषय का चयन न कर पाने के कारण अभ्यार्थियों का बहुमूल्य और निर्णायक समय यों ही जाया होता चला जाता है और एक सीमा के बाद अभ्यर्थी की तमाम कोशिशें नाकाम रहती हैं। इसलिए अभ्यर्थियों को चाहिए कि वे परीक्षा में बैठने से पूर्व ही काफी सोच-समझ कर अपने ऐच्छिक विषयों का चयन करें और अनुभवी लोगों के साथ विचार-विमर्श कर उनकी सलाह लें। इसके लिए अभ्यर्थियों को आवश्यक रूप से निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- (i) विषय अभ्यर्थी की रुचि के अनुरूप हो,
- (ii) सम्बन्धित विषय पर उचित मार्ग-दर्शन के साथ-साथ प्रामाणिक पुस्तकें उपलब्ध हों,
- (iii) विषय के संबंध में अभ्यर्थी के पास दृढ़ आत्मविश्वास हो ।
प्रारम्भिक परीक्षा स्पर्द्धा का पहला चरण है। इस परीक्षा का उद्देश्य गंभीर प्रवृत्ति के लगभग 15,000 परीक्षार्थियों का चुनाव करना होता है जो कि कुल आवेदकों की संख्या का लगभग 5 से 10 प्रतिशत तक होती है। अतः परीक्षा में सम्मिलित होने वाले अभ्यर्थियों को कठिन परिश्रम करना चाहिए तथा प्रशासनिक सेवा की पहली और सबसे मुश्किल सीढ़ी को पार करने के लिए कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छा-शक्ति के साथ तैयारी करनी चाहिए ।
UPSC के लिए योग्यता
आईएएस परीक्षा देने के योग्य होने के लिए, आपको किसी भी स्कूल या विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री अर्जित करनी होगी। यदि आप अपना हाई स्कूल डिप्लोमा पूरा करने के बाद IAS परीक्षा की तैयारी करना चाहते हैं, तो आपको ऐसा विषय चुनना चाहिए जो आपको परीक्षा में बढ़त दिलाए। आप स्नातक करके अपना एक कोर्स पूरा कर सकते हैं।
यूपीएससी एक प्रतियोगी परीक्षा है, और अच्छा स्कोर करने के लिए आपको इसके परीक्षा पैटर्न से परिचित होने की आवश्यकता है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) या सिविल सेवा परीक्षा एक वार्षिक परीक्षा है जिसे संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा प्रशासित किया जाता है। संघ लोक सेवा आयोग एक सरकारी संगठन है जो यह निर्धारित करने में मदद करता है कि कौन सरकारी कर्मचारी हो सकता है। सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए आयु सीमा 32 वर्ष है और उन्हें छह बार परीक्षा देने की अनुमति है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रों के लिए 35 वर्ष की आयु सीमा के अलावा, यह महिलाओं पर भी लागू होता है। यदि आपकी आयु 35 वर्ष से अधिक है और आप यूपीएससी परीक्षा में प्रयास करना चाहते हैं, तो आपको कुछ विशेष करने की आवश्यकता नहीं है – आयु सीमा आप पर वैसे ही लागू होती है जैसे अन्य छात्रों पर होती है। परीक्षा के लिए आवेदन करने के लिए, आपको सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए 100 रुपये का शुल्क देना होगा, लेकिन अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के छात्रों या महिला छात्रों के लिए कोई शुल्क नहीं है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) परीक्षा के लिए आवेदन आमतौर पर फरवरी में जारी किया जाता है।
उम्र सीमा
सिविल सेवा परीक्षा के संबंध में ध्यान रखने योग्य बात यह है कि इस परीक्षा में अधिकतम छः बार सम्मिलित होने का अवसर दिया जाता है। परन्तु यह प्रतिबन्ध अनुसूचित जाति/जनजाति और पिछड़े वर्गों के अभ्यर्थियों के संबंध में लागू नहीं होता है। अनुसूचित जाति और जनजाति के अभ्यर्थी 21 से 37 वर्ष की आयु तक प्रत्येक वर्ष इस परीक्षा में सम्मिलित हो सकते हैं। जबकि पिछड़ी श्रेणी के उम्मीदवार 21 वर्ष से 35 वर्ष की आयु की बीच सात बार इस परीक्षा में सम्मिलित हो सकते हैं। उल्लेखनीय है कि सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए परीक्षा में बैठने की आयु सीमा 21-32 वर्ष निर्धारित है।
परीक्षा के चरण
परीक्षा की योजना और आपकी तैयारी संघीय सिविल सेवा परीक्षा के तीन चरण होते हैं-
( 1 ) प्रारम्भिक परीक्षा– इस परीक्षा में बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाते हैं। इसी परीक्षा के आधार पर उम्मीदवारों का चयन मुख्य परीक्षा के लिए किया जाता है। इसमें 2 पेपर होते हैं जिनमे बहुविकल्पीय प्रकार के प्रश्न पूछे जाते है।
( 2 ) मुख्य परीक्षा– सिविल सर्विसेज की विभिन्न सेवाओं तथा पदों पर भर्ती के लिए मुख्य परीक्षा (लिखित ) आयोजित की जाती है। यह परीक्षा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मुख्य परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा पास करने के बाद अब आप मुख्य परीक्षा दे सकते हैं। इसमें सामान्य अध्ययन GS के चार पेपर होते हैं , एक पेपर वैकल्पिक विषय का होता है, जिसमे दो पेपर होते हैं, । एक essay का पेपर होता है, एक अंग्रेजी पेपर होता है एवं एक पेपर क्षेत्रीय भाषा का होता हैं। मुख्य परीक्षा भी एक ऐसा पेपर है जो आपको अंतिम परीक्षा के लिए अर्हता प्राप्त करने में मदद करता है। इस परीक्षा को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद ही उम्मीदवार इंटरव्यू में जा सकेंगे। प्रत्येक पेपर वस्तुपरक (discriptive) प्रकार का होता है।
Compulsory Paper- ये paper qualifiling nature के होते है इनमे उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम अंक प्राप्त करना आवश्यक है –
- Paper A- General English Paper – 300 अंक**
- Paper B- किसी एक भारतीय भाषा का Paper- संविधान में वर्णित किसी एक भाषा का Paper – 300 अंक**
मुख्य पेपर
- Paper I- एक Essay का पेपर – 250 अंक
- Paper II- सामान्य अध्ययन I – 250 अंक
- Paper III- सामान्य अध्ययन II – 250 अंक
- Paper IV- सामान्य अध्ययन III – 250 अंक
- Paper V- सामान्य अध्ययन VI – 250 अंक
- Paper VI- वैकल्पिक विषय I – 250 अंक
- Paper VII- वैकल्पिक विषय II – 250 अंक
- कुल अंक – 1750 अंक
( 3 ) इंटरव्यू (साक्षात्कार) व्यक्तित्व परीक्षण – मेरिट सूची इस बात पर आधारित है कि आपने मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार (व्यक्तित्व परीक्षण ) में कितना अच्छा प्रदर्शन किया। 275 अंकों के साथ साक्षात्कार बहुत ही महत्वपूर्ण होगा।
कुल 1750 + 275 = 2025 अंक के पेपर होते हैं जिनसे मेरिट सूचि बनती है।
परीक्षा विधि
प्रारम्भिक परीक्षा के लिए संघ सेवा आयोग द्वारा प्रतिवर्ष अक्सर जनवरी/फरवरी में विस्तृत विज्ञापन प्रकाशित किया जाता है। प्राथमिक परीक्षा का आयोजन प्रतिवर्ष सामान्यतः मई/जून माह में रविवार को किया जाता है। उल्लेखनीय है। कि प्रारंभिक परीक्षा का विधान वर्ष 1979 में गठित ‘कोठारी समिति’ की सिफारिशों के आधारों पर किया गया। प्रत्येक वर्ष मुख्य परीक्षा के चयनित कुल उम्मीदवारों की संख्या उस वर्ष में विभिन्न सेवाओं तथा पदों में भरी जाने वाली रिक्तियों की लगभग बारह / तेरह गुना होती है।
प्रारम्भिक परीक्षा में निम्नलिखित प्रश्नपत्र होते हैं।
- प्रश्नपत्र I सामान्य अध्ययन
- प्रश्नपत्र II – सीसैट CSAT
दोनों ही प्रश्नपत्र बहुवैकल्पिक होते हैं।
(क) सामान्य अध्ययन-
सामान्य अध्ययन का प्रश्नपत्र प्रत्येक अभ्यर्थी के लिए अनिवार्य होने के साथ-साथ इस का पाठ्यक्रम भी अत्यधिक विस्तृत होता है। 200 अंकों के इस प्रश्न पत्र के लिए 2 घंटे का समय निर्धारित होता है। विषय का पाठ्यक्रम विस्तृत होने के कारण इसके लिए विशेष तैयारी की आवश्यकता होती है। भारतीय इतिहास, राजनीतिक व्यवस्था, भूगोल, सामान्य विज्ञान, भारतीय अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय आंदोलन, राष्ट्रीय प्रशासनिक तंत्र, सामयिक घटनाओं व अन्य सम्बद्ध विषयों पर प्रश्न पूछे जाते हैं। अत: परीक्षार्थी सामान्य अध्ययन के विस्तृत स्वरूप को देखते हुए गंभीरता से अध्ययन करें। दृढ़ इच्छा शक्ति और आत्म विश्वास के साथ योजनाबद्ध ढंग से तैयारी करने पर सफलता की निश्चितता और बढ़ जाती है।
आंकड़ों की व्याख्या व तार्किक योग्यता पर भी 15-20 प्रश्न पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों के लिए पर्याप्त अभ्यास की आवश्यकता होती है।
यद्यपि सामान्य अध्ययन से सम्बन्धित विषयों पर आधारित प्रश्नों की संख्या हर वर्ष समान नहीं होती, परन्तु इनमें घटा-बढ़ी बहुत ज्यादा नहीं होती है। प्रश्नपत्र में सर्वाधिक प्रश्न भारतीय इतिहास एवं संस्कृति तथा सामान्य विज्ञान से पूछे जाते हैं। परन्तु भूगोल, सामान्य मानसिक योग्यता के साथ-साथ अन्य विषयों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। राजनीतिक व्यवस्था और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र से अक्सर वे प्रश्न पूछे जाते हैं जो पिछले दिनों में सम्बन्धित विषयों की चर्चा से सम्बन्ध रखते हों।
सामान्य अध्ययन की तैयारी हेतु स्त्रोत
वैसे तो सामान्य अध्ययन की सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती, लेकिन सिविल सेवा की प्रारम्भिक परीक्षा के लिए यह आवश्यक है कि परीक्षार्थी क्या पढ़े और क्या नहीं ? इस सम्बन्ध में जो कुछ भी पढ़ा जाए उसको पूरी तरह समझना बहुत जरूरी है। वास्तव में उन विषयों को अधिक तैयार करना चाहिए, जिनसे बराबर प्रश्न पूछे जाते हैं। इस दृष्टि से परीक्षार्थी के लिए आवश्यक है कि वह प्रत्येक विषय की चुनी हुई पुस्तकें पढ़कर अपने अंदर उनकी समझ विकसित करें। इस सम्बन्ध में एन.सी.आर.टी. द्वारा विभिन्न विषयों पर प्रकाशित की जाने वाली पुस्तकें प्राथमिक और महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं क्योंकि इन पुस्तकों की विषय-सामग्री स्पष्ट और गूढ़ जानकारियों से भरपूर नवीनतम शोधों पर आधारित होती है।
सामान्य अध्ययन से सम्बन्धित गाइड से आदर्श प्रश्न पत्रों के रूप में प्रश्नों के स्वरूप को समझा जा सकता है और इसमें सामान्य अध्ययन के लगभग सभी क्षेत्रों पर इकट्ठी विषय-सामग्री मिल जाती है। विभिन्न प्रकाशन विभाग और नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा विषयों पर सामान्य अध्ययन के लिए उपयोगी पुस्तकों का प्रकाशन किया जाता है। ये पुस्तकें सस्ती होने के साथ-साथ सरल और बोधगम्य भाषा में लिखी जाती हैं। सामान्य अध्ययन में अपनी पकड़ और मजबूत करने के लिए इस परीक्षा में बैठन वाले अपने मित्रों के साथ यदि विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाए तो यह तरीका भी कारगर सिद्ध होगा। इस तरीके से अध्ययन के प्रति आपका लगाव भी बढ़ेगा, यों भी विचार-विमर्श से प्राप्त हुई जानकारी जल्दी और अच्छी तरह समझ आती है। दिन-प्रतिदिन की घटनाओं के सम्बन्ध में जानकारी के लिए समाचार माध्यम परीक्षार्थियों के लिए उपयोगी होता है। प्रत्येक अभ्यर्थी के लिए आवश्यक है कि वह कम-से-कम राष्ट्रीय स्तर के एक समाचार पत्र को पढ़ने की आदत विकसित करें। समाचार पत्र पढ़ते समय यह अधिक महत्वपूर्ण होता है कि किन समाचारों पर अपना ध्यान केन्द्रित किया जाए। अक्सर समाचार पत्रों के प्रथम पृष्ठ पर मुख्य रूप से राजनीतिक और विवादस्पद विषयों से सम्बन्धित समाचार होते हैं, परन्तु भीतर के पृष्ठों पर राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय महत्व के समाचार रहते हैं। जिन पर अधिक ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता होती है। सम्पादकीय चर्चित विषयों पर छपे हुए आलेखों का नियमित अध्ययन भी आवश्यक होता है जिससे न केवल अच्छी जानकारी मिलेगी, बल्कि शब्द ज्ञान बढ़ने के साथ-साथ परीक्षार्थी की भाषा भी अधिक परिष्कृत होगी। साथ ही संस्कृति और खेलों से सम्बन्धित जानकारियों का अध्ययन भी जरूरी होता है। समाचार पत्र के नियमित अध्ययन के साथ-साथ रेडियो या टीवी पर प्रतिदिन समाचार समीक्षा सुनने का प्रयास भी अवश्य करना चाहिए। यदि इसी प्रकार का दैनिक अध्ययन किया जाए तो सामयिक, विवादास्पद और चर्चित विषयों के सम्बन्ध में अलग से किसी अध्ययन की कोई आवश्यकता नहीं रह जाती।
इनके अतिरिक्त सामान्य अध्ययन और सामयिक घटनाओं की तैयारी के लिए किसी प्रामाणिक प्रतियोगिता पत्रिका का अध्ययन भी बहुपयोगी सिद्ध होगा। परन्तु पत्रिका का चुनाव अभ्यर्थी को स्वयं विस्तृत विषय सामग्री को देखते हुए करना चाहिए। परीक्षार्थियों को इस बात की कोशिश अवश्य करनी चाहिए कि विभिन्न मंत्रालयों की वार्षिक रिपोर्टों, आर्थिक सर्वेक्षण और पंचवर्षीय योजनाओं से सम्बन्धित रिपोर्टों से चुने हुए अंशों का अध्ययन करें।
(ख) CAST सीसैट –
यह पेपर कुल 200 अंक का होता है और इसमें सफल होने के लिए आपको 33℅ (67 अंक) अंक हासिल करने होते हैं । हर सही जवाब के लिए 2.5 अंक मिलते हैं और गलत उत्तर देने पर (1/3) निगेटिव मार्किंग होती है । यह प्रश्न पत्र ऑब्जेक्टिव टाईप (Objective Type / Multiple Choice) प्रकार का होता है और यह एक क्वालीफाइंग पेपर है (Qualifying Paper) होता हैं जिसमे उम्मीदवार को न्यूनतम 33% अंक प्राप्त करना होता हैं । ध्यान रहे कि भले ही इस पेपर में आपको केवल 33% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता है, फिर भी इस प्रश्न पत्र में पूछे जाने वाले प्रश्न की प्रकृति हमेशा चर्चा का विषय बनी हुई है
- Comprehension (बोधगम्यता)
- Interpersonal skills including communication skills (संचार कौशल सहित अंतर – वैयक्तिक कौशल)
- Logical reasoning and analytical ability (तार्किक कौशल एवं विश्लेषणात्मक क्षमता)
- Decision making and problem-solving (निर्णय लेना और समस्या समाधान)
- General mental ability (सामान्य मानसिक योग्यता)
- Basic numeracy (Numbers and their relation, order of magnitude etc. of Class X level) आधारभूत गणना (संख्याएं और उनके संबंध, विस्तार क्रम आदि) (दसवीं कक्षा का स्तर), आंकड़ों का विश्लेषण (चार्ट, ग्राफ, तालिका, आंकड़ों की पर्याप्तता आदि – दसवीं कक्षा का स्तर)
- Data interpretation (Charts, graphs, tables, data sufficiency etc. of Class X level) अंग्रेजी भाषा में बोधगम्यता कौशल (दसवीं कक्षा का स्तर)
प्रारम्भिक परीक्षा की प्रक्रिया में वैकल्पिक विषय का महत्व प्रत्येक अभ्यर्थी के लिए बहुत बड़ी चुनौती होता है। कुल 300 अंकों के इस विषय का परीक्षा में अच्छा निष्पादन परीक्षार्थी की प्रारम्भिक परीक्षा में सफलता सुनिश्चित कर सकता है। वैकल्पिक विषय के सम्बन्ध में आवश्यक है कि परीक्षार्थी के पास सम्बन्धित विषय हेतु पर्याप्त अध्ययन सामग्री उपलब्ध हो। बहुत अधिक पुस्तकों की अपेक्षा विषय की कुछ श्रेष्ठ पुस्तकों का चयन और उनका गहन अध्ययन जरूरी होता है। जिन अभ्यर्थियों का वैकल्पिक विषय सामान्य अध्ययन एक हिस्सा होता है उन्हें वैकल्पिक विषय की तैयारी में सामान्य अध्ययन की तैयारी से काफी कुछ सहायता प्राप्त होती है। वैकल्पिक विषय के सम्बन्ध में अभ्यर्थियों के लिए आवश्यक है कि विषय से सम्बन्धित नवीन घटनाओं की जानकारियों के प्रति जागरूक रहें। परीक्षार्थियों को वैकल्पिक विषय का चुनाव करते समय मुख्य परीक्षा को भी ध्यान में रखना चाहिए, क्योंकि प्रारम्भिक परीक्षा के लिए वैकल्पिक विषय की अच्छी तैयारी के बाद यदि मुख्य परीक्षा में भी उसी विषय का चुनाव किया जाए तो यह बहुत अधिक लाभदायक सिद्ध होगा। अच्छी तैयारी के साथ परीक्षार्थियों को पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों को हल करना चाहिए। विभिन्न मॉडल प्रश्नपत्रों के अभ्यास के साथ-साथ कुछ उच्च स्तरीय गाइडों का अध्ययन की लाभदायक होगा। पुराने प्रश्न पत्रों तथा आदर्श प्रश्नपत्रों के प्रश्नों को हल करने के अभ्यास से गति व परिशुद्धता बनी रहती है, जो प्रश्नपत्र के सही हल हेतु अनिवार्य है। परीक्षा की निकटता को देखते हुए निश्चित समय सीमा के भीतर इस प्रकार के अभ्यासों की नियमितता भी बढ़ा देनी चाहिए। वैकल्पिक विषय के प्रश्न प्रत्येक अभ्यर्थी की विषय से सम्बन्धित जानकारी के साथ-साथ तर्क क्षमता और योग्यता की जांच भी करते हैं। अतः विषय पर परीक्षार्थी की पकड़ मजबूत होनी चाहिए। जिसके लिए अच्छे लेखकों और विद्वानों की प्रामाणिक पुस्तकों के गहन अध्ययन के साथ-साथ प्रश्नों का विभिन्न दृष्टिकोणों से अध्ययन आवश्यक होगा।
परीक्षा के सम्बन्ध में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ (Some Important Hints Regarding Examinations)
- परीक्षा केन्द्र में समय से पहुँच जाना चाहिए। परीक्षा कक्ष में परीक्षा शुरू होने से 30 मिनट पूर्व प्रवेश की अनुमति दी जाती है।
- परीक्षार्थी को प्रवेश पत्र, दो या तीन एच. बी. पेंसिलें, पेंसिल कोर, रबड़ और काला बाल पेन अपने साथ ले जाने चाहिए।
- ‘टैस्ट बुकलैट’ को पूरी तरह निरीक्षण कर लेना चाहिए ताकि कोई पेज या प्रश्न बिना मुद्रित न रह गया हो।
- टैस्ट-बुकलैट में लिखे गये निर्देशों को सावधानी पूर्वक पढ़ना चाहिए और परीक्षा कक्ष के अन्दर निरीक्षक के निर्देशों का पालन करना चाहिए।
- प्रश्नों का उत्तर देने से पूर्व प्रश्न-पत्र को पढ़ लेना चाहिए। इससे आपको प्रश्न-पत्र के सम्बन्ध में पूरी जानकारी मिल जाएगी।
- समय का पूरी तरह सदुपयोग करते हुए प्रश्नों को हल करने की गति तथा शुद्धता दोनों पर ध्यान देना चाहिए। जो प्रश्न आपको मुश्किल लग रहा हो उस पर बिना समय नष्ट किए हुए सबसे पहले सरल प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए, उसके बाद कठिन प्रश्नों के ऊपर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। अपने उत्तरों का, परीक्षा समाप्त होने से पूर्व पूर्णतया पुनरावलोकन कर लेना चाहिए। ऐसा करने से जो गलतियाँ रह गईं तो उन्हें सही करने में सहायता मिलेगी।
- प्रश्नों का हल करते समय शब्दों और शब्द-खण्डों पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जैसे- आरोही क्रम, अवरोही क्रम, गलत मेल, सही मेल, नवीनतम प्रथम, सर्वोतम, प्राथमिकता आदि। सही/गलत से सम्बन्धित प्रश्नों को हल करते समय ध्यान रखना चाहिए कि कथन के सभी भाग सत्य हो । यदि इसका एक भाग भी गलत हो तो उसे छोड़ देना चाहिए।
- इस परीक्षा में गलत उत्तर के लिए ऋणात्मक मूल्यांकन किया जाता है। अतः परीक्षार्थी को जो उत्तर पता न हो, उसे हल नही करना चाहिए।
- उत्तर-चार्ट की जांच मशीन से की जाती है, जिसे आप्टिक रीडर कहते हैं। अपने उत्तर को बदलने पर मार्क किए गए उत्तर को पूरी तरह मिटा देना चाहिए। क्योंकि ‘आप्टिक रीडर द्वारा उत्तर-चार्ट’ को जाँचते समय यदि किसी प्रश्न के दो उत्तर मिलेंगे तो उसके लिए शून्य अंक मिलेगा। इसलिए परीक्षार्थी के लिए यह लाभदायक होगा कि पहले, प्रश्न उत्तर के प्रति आश्वस्त हो लें और उसके बाद उत्तर-चार्ट में चिन्हित करें।
पाठ्यक्रम
UPSC की प्रारम्भिक परीक्षा के लिए निम्नलिखित पाठयक्रम है
प्रारम्भिक परीक्षा
GS paper I – General Study
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व से संबंधित वर्तमान घटनाएं।
- जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण पारिस्थितिकी विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन, सौर आविष्कार, हरित ऊर्जा आदि जैसे सामान्य मुद्दे।
- आर्थिक और सामाजिक विकास विशेष रूप से सतत विकास, गरीबी, समावेश, सरकारी योजनाएं, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र की पहल आदि।
- सामान्य विज्ञान।
- भारतीय राजनीति और शासन – राजनीतिक प्रणाली, संविधान, लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, राज्यपाल और राष्ट्रपति के शक्तियां, पंचायती राज, सार्वजनिक नीति, मौलिक अधिकार के मुद्दे, राज्य सरकार के निदेशक सिद्धांत।
- भारतीय और विश्व भूगोल – भारत और विश्व का सामाजिक, भौतिक, आर्थिक भूगोल।
GS paper II – CSAT
- संचार कौशल सहित पारस्परिक कौशल (Interpersonal skills including communication skills)
- कॉम्प्रिहेंशन (Comprehension)
- तार्किक तर्क और विश्लेषणात्मक क्षमता (Logical reasoning and analytical ability)
- निर्णय लेना और समस्या-समाधान (Decision making and problem-solving)
- सामान्य मानसिक क्षमता पर प्रश्न (Questions on General mental ability)
- गणितीय संख्या (परिमाण का क्रम, संख्या और उनके संबंध, आदि) (कक्षा 10 वीं स्तर) (Basic numeracy (orders of magnitude, numbers and their relations, etc.) (Class 10th level))
- डेटा इंटरप्रिटेशन (रेखांकन, चार्ट, आंकड़ों की पर्याप्तता, टेबल आदि) – कक्षा 10 वीं स्तर (Data interpretation (graphs, charts, data
मुख्य परीक्षा का पाठ्यक्रम
Compulsory Paper- Qualifiling Paper
क्वालिफाइंग’ (Qualifiling) प्रकृति के दोनों प्रश्नपत्र 300–300 अंकों के होते हैं। भारतीय भाषा में न्यूनतम अर्हता अंक 25% (75) तथा अंग्रेज़ी में भी न्यूनतम अर्हता अंक 25% (75) निर्धारित किये गए हैं।
Paper I- निबंध लेखन
उम्मीदवार को एक विनिर्दिष्ट विषय पर निबंध लिखना होगा| विषयों के विकल्प दिये जायेंगे| उनसे आशा की जाती है कि अपने विचारों को निबंध के विषय के निकट रखते हुए क्रमबद्ध करें तथा संक्षेप में लिखें| प्रभावशाली एवं सटीक अभिव्यक्तियों वाले निबंधो के लिये श्रेय दिया जायेगा|
नोट: निबंध का प्रश्नपत्र मुख्यत: दो भागों (मूर्त एवं अमूर्त रूप) में विभाजित रहता है। प्रत्येक भाग में दिये गए 4 विकल्पों में से एक-एक विकल्प का चयन करते हुए कुल दो निबंध (प्रत्येक 125 अंक) लिखने होते हैं। प्रत्येक निबंध के लिये निर्धारित शब्द सीमा लगभग 1000-1200 होती है।
Paper II – सामान्य अध्ययन GS I
सामान्य अध्ययन GS I के पेपर के लिए भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व का इतिहास एवं भूगोल और समाज से प्रश्न पूछे जाते है
सामान्य अध्ययन GS I | ||
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क्रम संख्या | पाठ्यक्रम- Hindi ( हिन्दी ) | पाठ्यक्रम- English (अंग्रेजी) |
1 | भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे। | Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times. |
2 | 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय। | Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues. |
3 | स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान। | The Freedom Struggle – its various stages and important contributors/contributions from different parts of the country. |
4 | स्वतंत्रता के पश्चात् देश के अंदर एकीकरण और पुनर्गठन। | Post-independence consolidation and reorganization within the country. |
5 | विश्व के इतिहास में 18वीं सदी तथा बाद की घटनाएँ यथा औद्योगिक क्रांति, विश्व युद्ध, राष्ट्रीय सीमाओं का पुनःसीमांकन, उपनिवेशवाद, उपनिवेशवाद की समाप्ति, राजनीतिक दर्शन जैसे साम्यवाद, पूंजीवाद, समाजवाद आदि शामिल होंगे, उनके रूप और समाज पर उनका प्रभाव। | History of the world will include events from 18th century such as Industrial revolution, World wars, Redrawal of national boundaries, Colonization, Decolonization, Political philosophies like Communism, Capitalism, Socialism etc.- their forms and effect on the society. |
6 | भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएँ, भारत की विविधता। | Salient features of Indian Society, Diversity of India. |
7 | महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय। | Role of women and women’s organizations, Population and associated issues, Poverty and developmental issues, Urbanization, their problems and their remedies. |
8 | भारतीय समाज पर भूमंडलीकरण का प्रभाव। | Effects of globalization on Indian society. |
9 | सामाजिक सशक्तीकरण, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद और धर्मनिरपेक्षता। | Social empowerment, Communalism, Regionalism & Secularism. |
10 | विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ। | Salient features of world’s physical geography. |
11 | विश्व भर के मुख्य प्राकृतिक संसाधनों का वितरण (दक्षिण एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप को शामिल करते हुए), विश्व (भारत सहित) के विभिन्न भागों में प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र के उद्योगों को स्थापित करने के लिये ज़िम्मेदार कारक। | Distribution of key natural resources across the world (including South Asia and the Indian sub-continent); factors responsible for the location of primary, secondary and tertiary sector industries in various parts of the world (including India). |
12 | भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान- अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताओं (जल-स्रोत और हिमावरण सहित) और वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन और इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव। | Important Geophysical phenomena such as Earthquakes, Tsunami, Volcanic activity, Cyclone etc., geographical features and their location- changes in critical geographical features (including Waterbodies and Ice-caps) and in flora and fauna and the effects of such changes. |
Paper III – सामान्य अध्ययन GS II
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-II के पेपर के लिए शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध से प्रश्न पूछे जाते है